Wednesday 25 September 2013

पिकहा बाबा उवाच ..............................................................अपनी बात - दो बूँद जिंदगी के

अपनी बात - दो बूँद जिंदगी के

 मैं अपने को देख रहा हूँ, पास खड़े लोगों को देखता हूँ. समाज को देखता हूँ. देश देखता हूँ. विदेश देखता हूँ .देख सब रहा हूँ, फिर मैं मौन क्यों हूँ .क्या मेरे देखने की शक्ति क्षीण  हो गयी है या मैं सुन नहीं सकता हूँ . विवेक  समाप्त हो गया है. विचार समाप्त हो गए है . सब के प्रति मेरी उदासीनता क्यों है. क्या मैं कायर हूँ . ध्रतराष्ट्र  हूँ . या भीष्म हूँ. 
मुझे तो सब से अलग होना चाहिए. मैं उस भीड़ का हिस्सा  क्यों बनू. जो अपना उपहास  कराते  हुए स्वयं उसमे शामिल है. क्या कभी आपने भी अपने बारे में विचार किया है. यदि हाँ तो अपने विचारों को बाहर आने दीजिए. घुटन से बाहर निकलिए. बहुत सुन्दर दुनिया है. आपकी बहुतों को जरूरत है. केवल स्नेह का एक स्पर्श ही देना है. देखिये उनके साथ साथ आपको कितनी सुखद अनुभूति होगी.

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

Friday 20 September 2013

रेल गाड़ी

              

रेल  गाड़ी
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देखा  देखा  रे  जवनवा
आ  गईले  मन  मोहिनिया  रेल
इंजन  ईमा  लागल   विदेसी
गावत  गीत  सदा  स्वदेसी
देस  नीत  माँ  सदा  इ  बहके
एफ डी आई  सौगात   दईके
खेलें  पैसे  पैसे  का  खेल
देखा  देखा  रे  जवनवा
आ  गईले  मन  मोहिनिया  रेल
घर  का  पैसा  घरवा  न  राखे
विदेसी   बैन्कन  मा  रखे   छुपा   के
दावा  हा   ईमानदार   सरकरिया
पूछिला  चाहें   बीच  बजरिया
बन्दर  बाँट  का  खेलें   खेल
देखा  देखा  रे  जवनवा
आ  गईले  मन  मोहिनिया  रेल
ऐ  जी  ओ  जी  सब  कोई  सुनो  जी
सी. बी. आई.- सी. ऐ. जी . से न   डरो  जी
मंत्री  इनके  साफ़  सुघड़  हैं
प्रज्ञा वान  मगर    चकड़  हैं
टू  जी  खेलत   खेलत  पहुंचे  जेल
देखा  देखा  रे  जवनवा
आ  गईले  मन  मोहिनिया  रेल
देसवा  तो  ई  पहिले  बटइले
धरम  जाति    पर  सबका  लड़इले
लूटो  खाओ  इनका  दीन  धरम  है
त्रस्त  जनता  पर  टूटत  न  भरम  है
शुरू  कई   दी न्हींन  आरक्षण   का  खेल
देखा  देखा  रे  जवनवा

आ  गईले  मन  मोहिनिया  रेल

Wednesday 23 January 2013


गणतंत्र दिवस
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जन्म से दो वर्षों तक शिशु
न हो  कुपोषण का शिकार
स्वस्थ रहे जच्चा बच्चा
जब  मिले पौष्टिक आहार
कर्त्तव्य  परम पुनीत हमारा
मिल ऐसी नीति  बनायें
स्वस्थ तन स्वस्थ मन से
भारत महान  बनायें
आओ सब मिल
गणतंत्र दिवस मनाएं
शिक्षा नीति भई पुरानी
छोडें अंग्रेजो की गुलामी
नैतिक शिक्षा की दरकार
बंद हो  शिक्षा का व्यापार
सुशिक्षित समाज बनायें

स्वस्थ तन स्वस्थ मन से
भारत महान  बनायें
आओ सब मिल
गणतंत्र दिवस मनाएं
भूख गरीबी भ्रष्टाचार
पग पग होए अनाचार
रिश्ते नाते धूल धूसरित
काल नाग हुए अवतरित
कृष्ण बन इन्हें नथायें

स्वस्थ तन स्वस्थ मन से
भारत महान  बनायें
आओ सब मिल
गणतंत्र दिवस मनाएं
न भाषा धर्म जाति का बंधन 
क्रास कृपाण तिलक चन्दन 
होली ईद दिवाली त्यौहार 
हो केवल  मानवता व्यवहार
ऐसे हम संस्कार जगाएं  
स्वस्थ तन स्वस्थ मन से
भारत महान  बनायें
आओ सब मिल
गणतंत्र दिवस मनाएं
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
२३-१-२०१३